Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Feb-2022 सोन चिड़िया


सोन चिड़िया है एक प्यारी सी ,
रंग बिरंगी हैं वह तो न्यारी सी |
 लालसा जो भरी मन में हमारे, 
सोन चिरैया हम उसी को पुकारें |
 दिल जो चाहता है जग में हमारा, 
जो लगता हैं हमे यहाँ एक सहारा |
दूर वो कभी मन से हो नहीं पाता ,
रास्ता वो अपना ही ढूंढता जाता |
 इच्छाएं जैसे कैद होती है मन में, 
 पिंजरे में कैद हम वैसे ही वन में |
जब तक हम खुद को न जान पाएंगे ,
मन के भावों को अपने न पहचान पाएंगे |
क्या चल रहा हमारे अंतर्मन में, 
हंसी तो आती हैं इस बंधन में |
 उलझन एक हो तो कोई समझे, 
सब छूट गए जो साथ थे अपने |
 सवालों से तन मन हैं भरा हुआ, 
लगता है जैसे कहीं ये उड़ा हुआ |
 कभी रोने का जो मन करता, 
दुनियादारी से तो वह डरता |
 प्रतिक्रिया चार लोगों की क्या होगी ,
क्या खिलखिलाहट यहां कभी बसेगी |
आज कंप्यूटर मोबाइल बन गया ऐसा ,
लगता हैं हमें एक सोन चिरैया जैसा |
कुछ भी मांगे तो कर देगा हाजिर, 
मनोरंजन की सारी सुविधाएं हाजिर |
याद आती है उस चिड़िया की हमें, 
सोने के रंग की पिंजरे में कैद दिखाई हमें |
 हम भी तो यहां रहते कुछ ऐसे ,
मीठी बोली पर फना हुए कुछ वैसे  ||


प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली) 

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5 Comments

N.ksahu0007@writer

02-Feb-2022 09:57 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

02-Feb-2022 09:21 PM

बहुत खूबसूरत

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Sudhanshu pabdey

02-Feb-2022 09:19 PM

Very nice

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